अब सोचिए, आप सुबह उठते हैं और आपका दोस्त आपसे पूछता है, “कैसे हो?” और आप, बिना सोचे-समझे, कह देते हैं, “एकदम बढ़िया!” असल में आपकी सुबह खराब हुई हो, लेकिन ये छोटा-सा झूठ आपके मुँह से ऐसे निकल गया जैसे कोई गाना गुनगुनाना। अब सोचिए अगर ऐसा हर किसी के साथ हो रहा हो और किसी को ये एहसास ही न हो कि वो झूठ बोल रहा है।
यानी, झूठ बोलना हमारे डीएनए का हिस्सा बन चुका है। मासूम, छोटे झूठ, जो किसी का नुकसान नहीं करते, लेकिन हर बातचीत में घुसपैठ जरूर करते हैं। क्या होगा इस दुनिया का?
झूठ: आपकी लाइफ का नया स्पाइस
छोटे झूठों के बिना जिंदगी कितनी बोरिंग हो सकती है, कभी सोचा है?
- “तुम ये ड्रेस में बहुत अच्छे लग रहे हो!”
- “मैंने फिल्म की स्टोरी पहले ही समझ ली थी।”
- “हाँ, मैं 5 मिनट में पहुँच रहा हूँ।”
इन मासूम झूठों के बिना, हमारी बातचीत कितनी नीरस हो जाएगी। हर चीज ब्लंट और बेरंग। मानो इंस्टाग्राम पर फिल्टर हट गया हो!
दुनिया का नया नॉर्मल
अब अगर हर कोई छोटे-छोटे झूठ बोल रहा हो और इसका पता ही न चले, तो सोचिए, ये झूठ हमारी नॉर्मल लाइफ का हिस्सा बन जाएगा। आप अपने दोस्त से पूछेंगे, “तुम्हारी नई जॉब कैसी है?” और वो कह देगा, “बहुत मजेदार!” जबकि असल में उसका बॉस उसके सिर पर खड़ा रहता है।
आपके ऑफिस के बॉस मीटिंग में कहेंगे, “हमारा प्रोजेक्ट शानदार कर रहा है!” जबकि वो अंदर ही अंदर प्रेशर कुकर की तरह फूटने वाले होंगे।
बॉलीवुड और सेलिब्रिटी झूठ
चलो, थोड़ा मजा लेते हैं। अगर बॉलीवुड सितारों को भी ये झूठ बोलने की आदत हो, तो क्या होगा?
- सलमान खान: “मैं रोज सुबह 5 बजे जिम जाता हूँ।”
- आलिया भट्ट: “मुझे मैग्जीन के सभी सवाल पहले से आते हैं।”
- टॉम क्रूज: “मेरे सारे स्टंट मैं खुद करता हूँ, बिल्कुल बिना डरे।”
ये छोटे-छोटे झूठ हमारी मनोरंजन इंडस्ट्री का भी हिस्सा बन जाएंगे। और सच कहें तो, हम इसे एन्जॉय भी करेंगे!
झूठ की कीमत
अब, यह आदत अगर हद पार कर जाए तो?
- आपका दोस्त आपको कहता है कि वो आपकी मदद करेगा, लेकिन असल में वो किसी और प्लान में बिजी है।
- डॉक्टर आपको कहता है कि “आपकी रिपोर्ट बिल्कुल सही है,” जबकि उसे लगता है कि आपको और टेस्ट कराने की जरूरत है।
छोटे झूठों से बड़ी समस्याएं खड़ी हो सकती हैं, और यही वो बिंदु है जहां चीजें गड़बड़ हो सकती हैं।
अगर आपको पता चले कि आप झूठ बोलते हैं?
मान लीजिए, आपको अचानक एहसास हो जाए कि आप हर दिन छोटे-छोटे झूठ बोलते हैं। तब क्या होगा? शायद आपको थोड़ा गिल्टी फील हो, लेकिन साथ ही ये भी समझ आएगा कि ये झूठ कभी-कभी लाइफ को आसान बना देते हैं।
जैसे, अगर आप हर किसी को सच बोलें, तो चीजें बहुत सीरियस और कड़वी हो सकती हैं। हर झूठ बुरा नहीं होता, है ना?
सबक: झूठ और सच का बैलेंस
इससे हमें क्या सीखने को मिलता है?
- झूठ का बैलेंस: छोटे-छोटे झूठ चल सकते हैं, लेकिन हर बार सही होना जरूरी है।
- सच्चाई का महत्व: जरूरी मुद्दों पर हमेशा सच बोलना चाहिए।
आखिर में, दुनिया थोड़ी-बहुत झूठ से ही तो रंगीन है। लेकिन जब जरूरत पड़े, तो सच बोलने की ताकत भी होनी चाहिए।
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