ओके, सोचो कि आप सुबह उठते हो, अपनी चाय (या कॉफी) के साथ, और टीवी पर न्यूज चल रही है: “बर्लिन वॉल कभी गिरी ही नहीं!” या “महात्मा गांधी ने नमक सत्याग्रह की जगह टेक्नोलॉजी क्रांति शुरू की।”
सच कहूं, ये ख्याल ही दिमाग को झंझोड़ देता है। ऐसा लगता है जैसे किसी ने पूरी हिस्ट्री को रीमिक्स कर दिया हो। अब सवाल ये है—क्या ये दुनिया बेहतर होती? या फिर… कुछ ज्यादा ही अजीब? चलो, ज़रा इस Parallel World की गहराई में झांकते हैं।
“इतिहास के रीमिक्स वर्ज़न”
सबसे पहले, आइए सोचते हैं कि ऐसी दुनिया कैसी दिखेगी।
- द्वितीय विश्व युद्ध में अगर Axis Powers जीत गए होते?
शायद आज पूरी दुनिया अलग-अलग छोटे साम्राज्यों में बंटी होती। और हां, इंटरनेट जैसी चीजें शायद कभी बनी ही नहीं होतीं, क्योंकि टेक्नोलॉजी पर इतना फोकस नहीं होता। - अगर कोलंबस ने अमेरिका की खोज न की होती?
ओहो, इस दुनिया में अमेरिका जैसा देश शायद अस्तित्व में ही न होता। कोई ‘Hollywood’ नहीं, कोई ‘McDonald’s’ नहीं। दुनिया की पूरी संस्कृति ही अलग होती। - और भारत में अंग्रेजों ने शासन ही न किया होता?
सोचो, भारत का स्वतंत्रता संग्राम न होता और हम पहले से ही एक टेक्नोलॉजी-फॉरवर्ड नेशन होते। लेकिन… क्या हमें इतनी विविधता और यूनिटी का मतलब समझ आता?
“Parallel World में क्या सच में सब बेहतर होता?”
ओके, मान लेते हैं कि Parallel World में कुछ चीजें बेहतर हो सकती थीं। जैसे कि अगर इतिहास में युद्धों की जगह शांति के फैसले लिए गए होते। लेकिन दोस्त, ये भी सोचो कि हर बड़े फैसले का ripple effect होता है।
शायद आज हम उन संघर्षों और गलतियों से ही तो सीखकर यहां तक पहुंचे हैं। मतलब, अगर गांधीजी का अहिंसा आंदोलन न होता, तो हमें यह पता चलता कि शांति के लिए लड़ाई कैसे लड़ी जाती है?
“Imagine Personal Impact!”
अब थोड़ा अपनी लाइफ के बारे में सोचते हैं।
मान लो, आपकी फैमिली किसी Parallel World में बिल्कुल अलग इतिहास से गुजरी हो।
- शायद आपके दादा-दादी ने दूसरे शहर में शिफ्ट होने का फैसला किया हो।
- शायद Partition हुआ ही न हो।
- या फिर भारत-पाकिस्तान की जगह एक बड़ी यूनाइटेड कंट्री होती।
क्या तब भी आप वहीं होते जहां आज हैं? शायद नहीं। आपका पूरा एक्सिस्टेंस ही डिपेंड करता है उन फैसलों और घटनाओं पर।
“क्या होता अगर Parallel World के लोग हमसे मिल सकते?”
अब जरा सोचो, Parallel World के लोग अगर हमसे इंटरैक्ट कर सकते, तो क्या होता?
- वो पूछते: “तुम्हारे यहां कैसे काम करता है Democracy? हमारे यहां तो King अब भी राज करते हैं!”
- और हम शायद जवाब देते: “अच्छा, तुम्हारे यहां अभी भी महाराजा वाला दौर चल रहा है? क्या Cool है!”
लेकिन फिर ये भी हो सकता है कि ये Interactions और ज्यादा कॉम्प्लिकेटेड हो जाएं। कौन सी दुनिया बेहतर है, ये तय करना ही मुश्किल हो जाए।
“Parallel World vs Real World: कौन जीतेगा?”
आखिर में सवाल ये है कि Parallel World बेहतर होती, या हमारी यह Real World?
शायद Parallel World में नई चीजें सीखने और समझने को मिलतीं। लेकिन, दोस्त, हर Parallel World का एक डार्क साइड भी होगा। जो चीजें हमें आज मिली हैं, वो शायद वहां न होतीं।
“चलो, Parallel World का सपना देखते हैं”
तो, अगर कभी ऐसा Portal खुल जाए जो हमें Parallel World में ले जा सके, तो आप क्या करना चाहेंगे?
मैं तो सबसे पहले उन alternate Gandhis, Newtons और Einsteins से मिलने जाऊंगा। और हां, साथ में एक कैमरा भी ले जाऊंगा, ताकि हर पल कैप्चर कर सकूं।
तो, आप तैयार हो Parallel World में झांकने के लिए? या फिर आप यहीं रहना चाहेंगे, जहां चीजें कम से कम predictable तो हैं?
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