क्या होता अगर झाड़ू, बर्तन आदि घरेलू चीजें भी बात कर पातीं?

ज़रा सोचिए, आप सुबह उठते हैं, और किचन से आवाज़ आती है, “अरे, मुझे भी थोड़ी सफाई चाहिए!” या फिर झाड़ू आपको घूरकर कहती, “आज मुझे सुकून से आराम चाहिए, खुद साफ करो!” अगर हमारे घर की चीजें—जैसे झाड़ू, बर्तन, और टीवी—हमसे बातें कर सकतीं, तो ज़िंदगी कितनी अलग हो जाती? आइए, इस मज़ेदार ख्याल पर एक नज़र डालते हैं।

सुबह की लड़ाई: बर्तन vs किचन

सबसे पहले, अगर बर्तन बातें कर सकते, तो वे शायद सबसे ज्यादा शिकायत करते। वो पायलट की तरह चिल्लाते, “कृपया मुझे धो लो!” और आपसे तर्क करेंगे, “इतने दिन तक मुझे यूं ही क्यों रखा? क्या तुम्हें पता है मैं कितना गंदा हो गया हूँ?”

बर्तन धोना अब सिर्फ काम नहीं रह जाता, बल्कि बर्तन धोते वक्त उनसे बहस भी करनी पड़ती। शायद कुछ बर्तन आपके पक्ष में होंगे, जैसे कप, “अरे, मुझे तो ज्यादा गंदा नहीं किया!” जबकि कड़ाही शिकायत करती रहेगी, “मुझे हमेशा क्यों सबसे आखिर में धोते हो?”

झाड़ू का नखरा: ‘आज काम नहीं करना!’

झाड़ू अगर बात कर पाती, तो शायद सबसे ज्यादा नखरे दिखाती। “तुम मुझे रोज क्यों घसीटते हो? कभी वैक्यूम क्लीनर की मदद ले लिया करो!” और अगर गलती से आप झाड़ू को तोड़ देते, तो वह आपको चेतावनी देती, “अब तुमने मेरा दिल तोड़ दिया, देखो मैं आज काम नहीं करूंगी!”

आप सोचते थे कि सफाई करना ही मुश्किल काम है, लेकिन अब आपको झाड़ू के मूड से भी निपटना पड़ेगा। शायद एक दिन वह हड़ताल पर चली जाएगी, और आपको खुद हाथ में झाड़ू उठानी पड़ेगी।

टीवी की गॉसिप: ‘तुम फिर वही देख रहे हो?’

टीवी से आवाज़ आती, “ओह, तुम फिर से यही शो देख रहे हो? क्या तुम्हें कुछ नया ट्राई नहीं करना चाहिए?” हो सकता है आपका टीवी आपको नए-नए शोज़ सुझाने लगे, या फिर आपकी पसंद पर ताने मारे, “तुम सच में कार्टून देखने के लिए बड़े हो चुके हो?”

लेकिन टीवी शायद एक मज़ेदार साथी भी बन सकता है। वह आपको बताता कि अगले क्या देखना चाहिए, और आपके मूड के हिसाब से शो शुरू कर देता। सोचिए, टीवी को हंसते हुए सुनना कितना अजीब और मजेदार होगा!

फ्रिज का ताना: ‘तुम फिर से मुझसे चॉकलेट निकालने आए हो?’

फ्रिज को अगर बोलने की शक्ति मिल जाए, तो वह सबसे ज्यादा ईमानदारी से आपके खाने की आदतों पर ताने मारेगा। जैसे ही आप फ्रिज खोलेंगे, आवाज़ आएगी, “तुम फिर से चॉकलेट निकालने आए हो? सलाद कब खाओगे?”

और अगर आपके पास पुराना खाना पड़ा हो, तो फ्रिज गुस्से से बोलेगा, “तुमने मुझे फिर से खाली नहीं किया? ये बासी खाना कब निकालोगे?”

बिस्तर की चापलूसी: ‘आओ, थोड़ा आराम करो’

अब बात करते हैं बिस्तर की। अगर बिस्तर बातें कर सकता, तो वो सबसे प्यारी बातें करता, “आओ, थोड़ा और सो जाओ। आज कोई जल्दी नहीं है।” हो सकता है बिस्तर आपको पूरे दिन सोने के लिए मनाता रहे, और आप उसकी बात मान भी जाएं! लेकिन फिर वह ताने भी मारेगा, “तुम अब तक क्यों नहीं उठे? क्या आज तुम मुझसे प्यार करोगे या उठकर कुछ काम करोगे?”

रोबोटिक सहायक या घरेलू संघर्ष?

अगर हमारे घर की चीजें बात कर पातीं, तो हमें कई सहूलियतें मिल सकती हैं। झाड़ू आपको बता सकती है कि कब सफाई करनी है, और बर्तन बता सकते हैं कि उन्हें कब धोने की जरूरत है। लेकिन यह भी हो सकता है कि घर के हर कोने से शिकायतें और नखरे शुरू हो जाएं, और आपके पास काम करने की जगह बस इन चीज़ों से झगड़ा करने का वक्त बचे।

हंसी-खुशी भरा घर

सोचिए, घर में हर कोई एक-दूसरे से बातें कर रहा है—यहां तक कि आपकी चीजें भी। घर अचानक से ज़्यादा मजेदार और हंसी-खुशी से भर जाएगा। आप झाड़ू से उसकी पसंदीदा मूवी के बारे में पूछ सकते हैं, और टीवी आपको नए गानों के बारे में बता सकता है।

तो, क्या आप चाहते हैं कि आपके घरेलू सामान भी बातें कर सकें? कमेंट में बताइए कि कौन-सी चीज सबसे मजेदार होगी, अगर उसे बोलने की शक्ति मिल जाए!


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