राहुल के सपने और ब्रह्मांड की असलियत।

राहुल के लिए, सपने हमेशा अजीब और जटिल रहे हैं। कभी-कभी वह खुद को किसी विशाल महल में पाता, जहाँ दीवारें अजीबोगरीब रंगों से सजी होतीं और लोग अजनबी परिधान पहने होते। दूसरी रात वह किसी रहस्यमयी जंगल में होता, जहाँ पेड़ झिलमिलाते और पक्षियों की आवाज़ किसी अज्ञात भाषा में गूंजती। वह हमेशा ये सोचता था कि उसके सपने इतने विचित्र क्यों होते हैं। लेकिन एक रात, उसने ऐसा सपना देखा जिसने उसकी ज़िंदगी बदल दी।

पहला संकेत

उस रात राहुल ने खुद को एक अजीब शहर में पाया। वहाँ के लोग उसे घूर रहे थे, जैसे वह कोई बाहरी इंसान हो। उनके चेहरे तो इंसानों जैसे थे, लेकिन उनकी आँखों में कुछ ऐसा था जो उसे असहज कर रहा था। तभी एक बूढ़ा व्यक्ति उसके पास आया और धीरे से बोला, “तुम इस ब्रह्मांड के नहीं हो, है ना?” राहुल चौंका। “क्या मतलब?” उसने पूछा। बूढ़ा व्यक्ति मुस्कराया और कहा, “यहाँ तुम्हारे जैसे लोग नहीं आते। तुम्हें तो अपनी दुनिया में होना चाहिए। लेकिन तुम यहाँ हर रात आ जाते हो, बिना यह जाने कि तुम किस दुनिया में हो।”

राहुल को समझ नहीं आ रहा था कि यह क्या हो रहा है। क्या उसका सपना सच था? क्या वह वास्तव में किसी दूसरी दुनिया में था? लेकिन इससे पहले कि वह और कुछ पूछ पाता, वह जाग गया।

नई हकीकत की खोज

अगले कुछ दिनों तक, राहुल को उन बातों के बारे में सोचते हुए नींद नहीं आई। क्या यह संभव था कि उसके सपने वाकई दूसरी दुनिया की असलियत थे? उसने इसके बारे में पढ़ना शुरू किया और उसे पता चला कि वैज्ञानिक बहु-ब्रह्मांड के सिद्धांत की बात करते हैं। इसके अनुसार, हो सकता है कि ऐसे कई ब्रह्मांड हों जिनमें हम जैसे ही लोग और जगहें हों।

राहुल को लगा जैसे उसे कुछ मिल गया हो। उसने यह जानने का फैसला किया कि क्या वाकई उसके सपने दूसरी दुनियाओं की असलियत थे। उसने सपनों को समझने के तरीके ढूंढे और लुसिड ड्रीमिंग के बारे में जानने लगा, जिसमें इंसान अपने सपनों को नियंत्रित कर सकता है।

सपनों की यात्रा

कुछ दिनों की कोशिश के बाद, राहुल ने एक रात फिर से उसी शहर में खुद को पाया। इस बार वह पूरी तरह तैयार था। उसने अपने आपको पूरी तरह जागरूक रखा और उस बूढ़े व्यक्ति को फिर से खोजा। “मैं यहाँ वापस आ गया हूँ,” राहुल ने उसे कहा। बूढ़े व्यक्ति ने उसे एक रहस्यमयी मुस्कान दी और बोला, “तुम्हें अब यह समझना होगा कि यहाँ की असलियत क्या है।”

राहुल ने इस नई दुनिया में हर जगह की खोजबीन शुरू की। उसने वहाँ के लोगों से बातचीत की, नई चीज़ों का अनुभव किया, और धीरे-धीरे उसे यह लगने लगा कि वह यहाँ का ही एक हिस्सा है। वह यहाँ की वास्तुकला, उनके रीति-रिवाज, और वहाँ की संस्कृति को समझने लगा।

दो दुनियाओं के बीच

राहुल अब हर रात नई-नई दुनियाओं में जाता और उन्हें समझने की कोशिश करता। उसे लगने लगा जैसे उसके जीवन में दो असलियतें हैं। एक, जहाँ वह अपने दोस्तों और परिवार के साथ रहता है, और दूसरी, जहाँ वह उन अजीबोगरीब दुनियाओं में जाकर अद्भुत चीज़ों का अनुभव करता है। वह समझ नहीं पा रहा था कि यह सब कहाँ तक सच था।

एक दिन उसने सोचा, “क्या होगा अगर मैं इनमें से एक दुनिया में फँस जाऊँ और वापस न आ सकूँ?” लेकिन उसका मन हमेशा उसे प्रेरित करता कि वह इन असीमित संभावनाओं का सामना करे और जितना हो सके उतना अनुभव प्राप्त करे।

अनंत संभावनाओं का सफर

जैसे-जैसे राहुल इन दुनियाओं की यात्रा करता गया, वह समझ गया कि इन सपनों में छुपी असलियतें उसकी जिंदगी को गहराई से प्रभावित कर रही हैं। उसने सोचा, “अगर ये सारी दुनियाएँ सच में हैं, तो इसका मतलब है कि हम में से हर किसी के पास असीमित संभावनाएँ हैं।”

राहुल के लिए, अब हर सपना एक नई शुरुआत थी। हर रात उसे नए लोगों से मिलने और नई जगहें देखने का मौका मिलता। उसे पता चला कि हम जो असलियत मानते हैं, वह शायद सिर्फ एक छोटा सा हिस्सा है उन तमाम दुनियाओं का, जहाँ हमें जाने का मौका मिलता है।

अंतहीन यात्रा

अब राहुल एक नई उम्मीद और जिज्ञासा के साथ सोता है। उसे पता नहीं कि अगली रात उसे कौन सी दुनिया मिलेगी, लेकिन उसे यकीन है कि वह हर बार कुछ नया सीखेगा। उसे अपने सपनों की असलियत की परवाह नहीं रही, क्योंकि अब वह उन सपनों में खोना चाहता था। उसकी यात्रा तो बस शुरू हुई थी, और वह जानता था कि यह यात्रा अंतहीन है।

शायद अगली रात फिर से वह किसी अनोखी दुनिया में जाए, या शायद कोई उसे फिर से पहचान ले। लेकिन अब उसे परवाह नहीं। उसने समझ लिया है कि सपने हमारे खुद के दरवाजे हैं, उन अनंत संभावनाओं की ओर जो हमें नई दुनिया में ले जा सकती हैं।

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